- अभिनव गोयल
- बीबीसी संवाददाता
दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू जेएनयू जेएनयू जेएनयू जेएनयू की की की डॉक्यूमेंट्री डॉक्यूमेंट्री इंडिया इंडिया इंडिया मोदी मोदी मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्यूमेंट्री देखने देखने देखने देखने ले छ th प प पथरों परों हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ
पथराव बाद डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों ने जेएनयू गेट तक मार्च निकाला और वहां पहुंचकर पहुंचकर नारेबाज़ी की की.
पथराव वाले छात्र कौन थे थे उनके उनके में ज़्यादा पता नहीं चल पाया है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है There are several ways you can work. कुछ मेडिकल करवाने के लिए सफ़दरजंग अस्पताल भी पहुंचे हैं हैं.
यह नर्मदा हॉस्टल के सामने जेएनयू छात्रसंघ के ऑफ़िस में र रात नौ बजे दिखाई जानी थी थी. जेएनयू संघ ने स्क्रीनिंग की घोषणा एक दिन पहले की थी थी थी.
छात्रसंघ इस घोषणा के बाद जेएनयू प्रशासन ने एडवाइज़री जारी करते हुए कहा था कि डॉक्यूमेंट्री दिखाने के कार्यक्रम के लिए नहीं ली गई है और छात्रों को सलाह जाती है प्रस्तावित कार्यक्रम रद्द कर दें. ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार कार कार ई शुरू की जा सकती है.
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रात बजे से छात्र जहां डॉक्यूमेंट्री दिखाई जानी थी वहां जमा होना शुरू शुरू गए गए गए लेकिन स्क्रीनिंग से आधा घंटा पहले पहले पहले पहले बजे बजे कैंपस की बिजली गुल हो गई गई.
वहां रहे छात्रों का दावा है कि प्रशासन ने बिजली काट दी है है. स्क्रीनिंग ठीक पहले बिजली गुल होने की वजह पर जेएनयू प्रशासन की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है है.
9 बजकर 10 मिनट मोबाइल फ़ोन की की की की में में छ छात छात की की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने डॉक्यूमेंट्री देखने आए छात्रों को संबोधित किया किया किया.
उन्होंने कहा, “वे हैं कि सच्चाई बाहर आ जाएगी जाएगी आप लाइट छीन सकते हैं हैं हैं आप हमारे हाथ से छीन सकते सकते हैं हैं हमारे लैपटॉप लैपटॉप छीन सकते हैं आप आप आंखें हमारे जज़्बे को नहीं सकते सकते सकते सकते छीन छीन छीन सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन छीन नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं.”
आइशी ने बीबीसी से ब बातचीत में कहा कहा, “मोदी पब्लिक स्क्रीनिंग रोक सकती सकती है है लेकिन पब्लिक व्यूइंग तो नहीं ोक ोक ोक सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक ोक
केंद्र सरकार यूट्यूब और टर टर टर को बीबीसी की की डॉक्यूमेंट्री डॉक्यूमेंट्री डॉक्यूमेंट्री इंडिया इंडिया इंडिया इंडिया मोदी मोदी क्वेश्चन क्वेश्चन शेयर करने लिंक हटाने काने काने का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का का निा निानि दिया था था.
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बिजली होने की वजह वजह से बड़े प प प प प प डॉकर डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाई दिखाई जा जा सकी सकी छात्र छात्र संघ लोगों लोगों ने छात्रों के बीच ए फ़ोर फ़ोर सर पर छपे छपे आ आ बांटने बांटने शु शु शु मदद से छात्र अपने अपने फ़ोन पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर पर डॉक्यूमेंट्री देख सकते थे थे.
छात्रों गुज़ारिश की गई कि वे वे छात्र संघ ऑफ़िस के के ही दरी दरी पर बैठकर बैठकर डॉक्यूमेंट्री देखें देखें. लेकिन यह ठीक से से नहीं प पाया तो कुछ छात्र लैपटॉप और स्पीकर आए आए आए.
उस छात्रसंघ दफ़्तर के बाहर एक अनुमान के मुताबिक़ मुताबिक़, 300 छात्र थे थे थे. इसी सिविल ड्रेस में दिल्ली पुलिस के जव जवान भी उन पर नज़र बनाए हुए थे थे.
हालांकि ड्रेस में सुरक्षाक सुरक्षाक ie सात बजे ही ही डॉक्यूमेंट्री वाली जगह पर टहल रहे थे थे. कुछ सुरक्षाक ike के में दिल्ली पुलिस की टोपी टोपी साफ़ देखी देखी जा सकती थी.
Ike 9 बजकर 40 मिनट पर छर छात्रसंघ दफ़्तर के के बाहर छात्रों ने छोटे छोटे ग ग ग ग ग ग लैपटॉप से से बीबीसी बीबीसी की की की डॉक डॉक डॉक डॉक ी ी मोदी मोदी क क देखन करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू करू More information
क़रीब छहसात अलग अलग ग ग्रुप बना कर छात्र डॉक्यूमेंट्री देखने लगे लगे. किसी लैपटॉप को ज़मीन पर नीचे रखा हुआ था तो किसी ने लैपटॉप को को ऊंचाई पर पर पर पर के लिए वहां खड़ी बाइक और कुर्सी का इस्तेमाल किया किया.
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10 बजकर 20 मिनट अचानक डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पत्थरबाज़ी होने लगी लगी. ये वहां स्थित टेफ़्लाज़ कैंटीन के प पास से मारे जा रहे थे थे.
इनमें के साथ ईंटें भी शामिल थीं थीं थीं शुरू होते ही छात्रों के बीच भगदड़ मच गई और बीच में ही छोड़कर छात्र वहां से भागने लगे लगे.
पांच के अंदर ही छात्रसंघ दफ़्त् के ब बाहर की जगह खाली हो गई गई. इसके वहां मौजूद सभी छात्रों ने जेएनयू के के मुख्य द्वार तक मार्च निकाला और नारेबाज़ी की की.
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छात्र दफ़्तर से जेएनयू का मुख्य द्वार क़रीब पांच सौ मीटर दूर है है. रात को क़रीब 11 बजे गंगा ढाबे को पार करते हुए छात्र मुख्य द्वार की तरफ़ पहुंचे तो वहां एक बार फिर सेर से फिarm से फिarm से थarmबाज़ी शुरू हो हो गई गई गई गई गई गई गई हो हो हो हो होशु हो हो हो.
गंगा की तरफ़ से क़रीब क़रीब क़रीब 20-30 छात्रों एक गुट पत्थर मार मार ike था. जब ने पत्थर मारने वालों को पकड़ने की कोशिश कोशिश की तो वे झाड़ियों में जा छिपे छिपे.
जेएनयू मुख्य द्वार पर मौजूद छात्र प्रवीण ने बीबीसी हिंदी से कह कहा कहा, “वे लोग पहनक पहनक 0
एक दूसरे छात्र ने ने बीबीसी को को बताया बताया बताया बताया बताया बताया बताया हॉस्टल हॉस्टल जा रहा था था पांच पांच छह छह लोगों ने मिलकर एक लड़के को मारा मारा पर पर सिक्योरिटी सिक्योरिटी गार्ड खड़े थे उन्हें बोला क्या हो रहा रहा है है तभी लड़का लड़का दौड़ते हुए पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास पास मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे मेरे पास पास पास पास पास I have a problem with the program.”
किसने चलाए
जेएनयू द्वार के पास पत्थरबाज़ी की घटना दो तीन बार हुई हुई. पत्थर वाले गुट ने मुंह को को ढकने के लिए मास्क और कपड़े का सहारा लिया हुआ था था.
उनके से गुज़रने वाले छात्रों को ये कहते हुए हुए साफ़ सुना जा जा सकता था था था प्लीज़ प्लीज़ आप की की टॉर्च मत जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ मत जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ जलाओ.
इस जेएनयू का सिक्योरिटी स्टाफ़ भी वहीं खड़ा था था था कोई कुछ नहीं कर कर ike था था था. कुछ के लिए सिक्योरिटी स्टॉफ़ ने जेएनयू कैंपस को अपने अपने हाल पर छोड़ दिया था था.
कैंपस बाहर कई गाड़ियों में दिल्ली पुलिस भी खड़ी थी थी थी लेकिन वह भी भी ख़ामोश खड़ी थी थी.
जेएनयू मुख्य द्वार पर छात्रों ने दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की की. वहां जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की प्रेसिडेंट आइशी घोष घोष ने कहा कहा कहा कहा कहा लाइट को रिस्टोर रिस्टोर करने की है है हमने कभी नहीं सोचा था कि जेएनयू प्रशासन इतना गिर है कि की स्क्रीनिंग स्क्रीनिंग को बंद करवाने के लिए पत्थरबाज़ी करवाएगा.
जेएनयू ने आरोप लगाया कि उन्होंने एबीवीपी एबीवीपी (अखिल विद्यार्थी परिषद परिषद परिषद परिषद लोगों को पत्थर चलर चलाते देखा है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है देखा देखा देखा देखा देखा देखा देखा हालांकि इस आरोप की स्वतंत्र स्वतंत्र ike से से पुष्टि नहीं करती है है.
एबीवीपी तरफ़ से भी जेएनयू प प्रेसिडेंट के इस आरोप पर कोई कोई प
जेएनयू यूनियन का कहना है कि वह डॉक डॉक्यूमेंट्री को फिर से दिखाएगा दिखाएगा. इसी जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया नाम के छात्र संगठन ने ने जनवरी जनवरी यह डॉक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा की है है.
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बीबीसी दो एपिसोड की एक एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है है है – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन. It started 17 months ago. There are available 24 hours a day.
पहले में नरेंद्र मोदी के शुरुआती राजनीतिक करियर को दिखाया गया है जिसमें वे भारतीय जनता पार्टी में आगे बढ़ते हुए हुए के मुख्यमंत्री के पद पद पर हैं हैं.
ये एक अप्रकाशित रिपो रिपो ie पर आधर आधारित है जिसे ने ने फ़ॉरेन ऑफ़िस ऑफ़िस से हासिल किया है है. इस में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए हुए में साल साल साल साल साल साल में हुई हिंसा में कम से कम कम कम कम की मौत मौत पर सवाल उठाए हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं.
ब्रिटिश विभाग की रिपो रिपो रिपो ike का है कि साल साल साल साल साल साल साल में गुजरात में हिंसा का का माहौल बनाने के लिए लिए लिए प प प प प के लिए लिए लिए प लिएप लिएप लिए्रत्यक्ष रूप ूप ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम ज़िम cters.
पीएम हमेशा हिंसा के लिए ज़िम्मेदार होने के आरोपों का खंडन करते रहे हैं हैं. लेकिन ब्रिटिश कूटनयिक ने ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के लिए रिपोर्ट लिखी उससे उससे बीबीसी ने बात की है और वो अपनी िपो word िपो eight
भारत सुप्रीम कोर्ट पहले ही प्रधानमंत् प्रधानमंत् ie मोदी को गुजरात में भी भीरह की संलिप्तता से बरी बरी कर का है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है का का का का भारतीय मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची बागची ने प्रेस कांफ्रेंस में इस डॉक्यूमेंट्री से से जुड़े सवाल सवाल पर पर कहा कहा कहा कहा ये साफ़ करने दीजिए कि हमारी में ये एक प्रोपेगैंडा है एक तरह के के नैरेटिव को पेश करना है जिसे लोग ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज ख़ारिज That’s true.”
इस ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि ऋषि सुनक ने कहा कहा कहा कहा इस डॉक्यूमेंट्री को सरकार से से जुड़े कई लोगों ने दुष्प्रचार और औपनिवेशिक मानसिकता से प्रेरित बताया है जबकि बीबीसी का कहना कि गहन जाँच जाँच बाद बीबीसी बीबीसी संपादकीय मानदंडों के के अनुरूप गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई गई है.’
इससे हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी और केरल में कुछ कैम्पसों में छात्रों ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की है जबकि कई और परिसरों में छात्र संघ सामूहिक तौर पर वीडियो का आयोजन की घोषणा कर चुके हैं.